पारद शिवलिंग महत्व मराठी - An Overview

यावेळी 'ओम नमः शिवाय, ओम् त्रयंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् इत्यादी मंत्रांचा उच्चार करा. शिवलिंगाची प्रतिष्ठापना करण्यासाठी लक्षात घ्या की, पूजा करताना तुमचे तोंड पूर्व-उत्तर दिशेला असावे. दररोज सकाळी नियमित पूजा करावी, असे केल्याने सकारात्मक लाभ होतो. तर श्रावण किंवा शिवरात्रीच्या सोमवारी विशेष पूजा करा.

वरील पद्धतीने रोजची पूजा करू शकता पण पहिल्या दिवशी स्थापन करताना जो पहिला अभिषेक असेल तेव्हा पंचामृताने अभिषेख करावा नंतर ऐं ह्रीं श्रीं ऊं नम: शिवाय: श्रीं ह्रीं ऐं किंवा नमः शिवाय ने १०८ बेल शिव पिंडीवर अर्पित करावा त्यावर प्रत्येक वेळी बेलावर चंदन लावून हा अर्पण करावा थोडा वेळ लागला तरी चालेल. 

पारद और स्फटिक में से कौन-सा शिवलिंग बेहतर होता है?

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सर्वप्रथम प्रतिमा को गंगाजल एवं कच्चे दूध से नहलाएं।

अच्छे अवसर हाथ से क्यों निकल जाते हैं?: एक आलसी शिष्य को उसके गुरु ने पारस पत्थर दिया और कहा कि दो दिन में जितना चाहे, उतना सोना बना लो, तुम्हारा जीवन सुधर जाएगा

सकारात्मक वातावरण: यह शिवलिंग नकारात्मक विचारों और भावनाओं से घर के सदस्यों की रक्षा करता है, जिससे घर में सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है।

पारदशिवलिंग इतना शक्तिशाली शिवलिंग है की अगर पूजा करने वाले उपासक पर कोई संकट आता है तो यह शिवलिंग स्वयं अपने ऊपर ले लेता है और टुट जाता

इसके पूर्व इस कवच को गंगाजल या कच्चे दूध की छींटे मारकर इसे शुद्ध करें।

ओढ्याला पूर आल्याने बैलगाडीसह गाय-वासरू गेले वाहून

इसके बाद आपको शिवलिंग पर चावल अर्पण करें और मिठाई का भोग भी लगाना चाहिए।

अंत में वह सब सुखो को भोग कर वह मोक्ष को प्राप्त करेगा

स्वयंभू शिव: स्फटिक शिवलिंग को भगवान शिव का स्वयंभू रूप माना जाता है। अर्थात, यह प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है और किसी get more info बाहरी प्रक्रिया से नहीं।

कोकण आणि विदर्भात जोरदार पावसाची शक्यता

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